मुझे नहीं पता कि मुझे किसने जन्म दियान ही यह दुनिया क्या हैया मैं कौन हूँ .मैं अपने चारों ओर ये प्रकाश वर्ष देखता हूंऔर मुझे ढूंढोइस विशालता के बिंदु परयह जाने बिना कि मैं यहाँ क्यों हूँ बल्कि कहीं और हूँ .मुझे नहीं पता कि मुझे जीने के लिए इतना कम समय क्यों दिया गया हैयहाँ मेरे चरणों में पड़ा हैअनंत काल से प्रतिष्ठितमुझसे पहले क्या हुआऔर किस में मेरा पीछा करेगा .मैं केवल अनंत देखता हूंहर तरफ सेसूरज की किरण में घूमती धूल की तरहएक फॉर्म के रूप में जो फॉर्म द्वारा मिटा दिया जाता है .क्या मुझे पता हैक्या मुझे मरना हैलेकिन जो मैं नहीं जानताक्या यही मौत है जिससे मैं बच नहीं सकताऔर जो मुझे जीवन में बुलाता हैविलक्षण पुत्र की तरहपिता की गोद मेंरहस्य की इस दुनिया मेंजहाँ वादों की दरारहमें वह बनने के लिए बुलाता है जो हम हमेशा से रहे हैंशुरुआत के दुल्हन कक्ष मेंतुम्हारी छाया की छायामेरा भाग्य .167