
धारा पर बारिश गिरती है
कुल्हाड़ी
चोटियों से समुद्र तक
भविष्य को रोल करें
समुद्र से स्रोत तक
यादें वापस बहती हैं
बचपन के बुलबुले
दिलों का आईना
स्टारडस्ट
मिट्टी पर सख्त.
नाममात्र के अहंकार के नीचे
एक खगोलीय समय का
हरी डफ के साथ भरना
ऊंची लहरें
बंदरगाह घाट से
पानी की बूँदें
स्कलिंग
जैसे अनाज गुजरता है
हमारी आंखों के श्लेष्म को बांधें
आशा की ताजा जलकुंभी.
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