
Les mots se méfient du réel entendu
en dégoût de soi-même
के बाद के लेखन मर जाता है.
उद्घाटन के समय उमड़ी भीड़
राहगीरों की
सर्द रात में गायब.
दूर चला गया, कवि,
बंद आंखों से
जैसे ही तूफ़ान गुजर गया.
362
Les mots se méfient du réel entendu
en dégoût de soi-même
के बाद के लेखन मर जाता है.
उद्घाटन के समय उमड़ी भीड़
राहगीरों की
सर्द रात में गायब.
दूर चला गया, कवि,
बंद आंखों से
जैसे ही तूफ़ान गुजर गया.
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