
मैं चलता हूँ इसलिए मैं हूँ और मुझे बहुत कुछ नहीं चाहिए घंटी बजने दो हमारे सैनिकों की वापसी. वे बहादुर हमारे सैनिक थे जब उनके कराह की छाया आत्मा की रात से पहले फहराया एक उग्र बादल की उपयुक्त बहन. आपदा के बाद की घास तैलीय और बनावट वाला था जामदानी की तरह महिलाओं के खून से लथपथ. एक कदम फिर दूसरा शरीर कांपने लगा सूरज के चुंबन के सामने टूटे बादलों से त्रस्त. खेतों के गेहूँ में शराबी तितली के साथ मैं आग की किरण को इकट्ठा करता हूं जीने की वापसी के लिए. 735